Toll Tax Free 2024: भारत में सड़क परिवहन के लिए टोल टैक्स एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिससे सरकार हाईवे और एक्सप्रेसवे के रखरखाव के लिए धन जुटाती है। लेकिन हाल ही में कुछ हाईवे पर टोल टैक्स के नियमो में कुछ बदलाव करने की घोषणा की है। यह खबर उन यात्रियों के लिए राहत भरी है जो नियमित रूप से इन सड़कों का इस्तेमाल करते हैं। आइए, जानते हैं कितने किलोमीटर तक यह सुविधा मिलेगी और इसका लाभ कैसे उठाया जा सकता है।
टोल टैक्स के नियमो के बदलाव के बाद से, अब कार मालिक को उतना है टैक्स देना होगा जितनी वो यात्रा करता है उदाहरण के लिए अगर गाड़ी 50KM यात्रा करती है तो उसे टोल टैक्स भी उतनी यात्रा के किए ही देना होगा। इसमें शुरूआती 20 KM की यात्रा पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नही लिया जा रहा है। आपको बता दे की सड़क परिवहन मंत्रालय ने मंगलवार के दिन टोल टैक्स वसूली की नई प्रणाली ग्लोबल सेटेलाइट सिस्टम GNSS के लिए अपने नियमो में संसोधन करने की अधिसूचना जारी की है। यह प्रणाली अभी पुरे भारत में लागु नही होगी पहले इसे कुछ प्रमुख राजमार्गो और एक्सप्रेसवे पर ही लागु किया जाएगा, ताकि इन नियमो में और कुछ बदलाव आगे करने हो तो कर सके उसके लिए एक ट्रायल है।
जो नई प्रणाली है वो वर्तमान में मौजूद फ़ास्टैग और आटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन तकनीक का स्थान लेने वाला है। अब से तोल बूथ पर GNSS डिवाइस वाहनों के लिए अलग से एक और विशेष लाइन बनाई जाएगी, जिससे वाहनों को अलग से भुगतान करना होगा।
जैसा की आपको पता है की GNSS से लेस प्राइवेट वाहन को नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर 20 KM तक की यात्रा के लिए कोई भी शुल्क देने की आवश्यकता नही है, मतलब की 20 KM से ज्यादा यात्रा करने पर ही आपको टोल टैक्स देना होगा। GNSS प्रणाली वाले वाहनों में टोल टैक्स मौजूदा फ़ास्टैग की तरह ही लिंक बैंक अकाउंट से कट जाएगा।
GNSS प्रणाली से चलने वाले वाहनों को ज्यादा सुविधा क्यों दी जा रही है?
पहले हाईवे पर टोल टैक्स देने के लिए टोल बूथ पर वाहनों को रोक कर कैश देना होता था, जिसमे काफ़ी समय और फ्यूल की बर्बादी होती थी। लेकिन अब हाईवे पर टोल टैक्स देने के लिए वाहनों को कतारों में रोकने की आवश्यकता नही है अब टोल टैक्स ऑटोमेटिक कट जाता है।अब से वाहनों को ऑनलाइन माध्यम से भुगतान करना होता है, जिससे टोल प्लाजा पर वाहनों को कतारों में खड़ा नही रहना होता है।फास्ट ट्रैक की तुलना में इसकी मेंटिनेस कॉस्ट कम होगी जिससे सरकार का टोल रेवेन्यू बढ़ेगा।
GNSS सिस्टम कैसे काम करता है?
GNSS (Global Navigation Satellite System) एक उपग्रह आधारित नेविगेशन प्रणाली है, जो पहले जीपीएस के माध्यम से ये पता लगाएगा की वाहन ने कितनी दुरी तय और इसके साथ में वाहन की सटीक स्थिति और समय भी बताएगा। इसके बाद गाडी का नंबर प्लेट फ़ास्टैग या किसी अन्य से रिकॉग्नाइज्ड करने के बाद टोल टैक्स कटेगा और टोल टैक्स काटने के बाद अपने लिंक मोबाइल नंबर पर एसएमएस भी आएगा।